मुस्कुराते रहो ☺
जब पापा शाम को ऑफीस से आकर टॉफी दिया करते थे,
साइकल से गिर कर जो चोट लगी थी, दर्द भूल कर हम, तुरंत हस दिया करते थे,
सब्जी पसंद न्ही कह कर, एक घंटे, ना खाने को रोया करते थे,
मम्मी ने जब रोटी में जैम लगाया, स्माइल करते करते प्लेट चाट जया करते थे,
आज गिर जाने से, क्यूँ डरा करते हो....
समय बदला है, हम नही, मुस्कुराते रहो...
हम क्रिकेट के अंबासडर, और हमारा बल्ले पे वीरू की फोटो का स्वैग हुआ करता था,
हमको सब मोहल्ले का सहवाग कहा करता था,
कॉन्फिडेन्स ऐसा आसमान था, कई बार लास्ट बॉल सिक्स मार दिया करते थे,
ज़ीरो पे आउट हुए तो, बल्ला लेकर भाग लिया करते थे,
कुछ भी हो, कल फिर मिलेंगे, यही कहा करते थे सबसे हर बार,
खेल और खेल वाले दोस्तों से ऐसा था हमारा अनोखा प्यार,
आज नाकामयाबी से टूट जाया करते हो....
हार जीत तो चलता है मेरे यार, तुम मुस्कुराते रहो....
एग्ज़ॅम मे चीटिंग कराएगा बोल कर, विश्वास करा दिया था,
हमने भी, वो है ना सोच कर, पूरा चैप्टेर गोला मार दिया था,
ना पूछो कितना गुस्सा आया जब ले रहा था वो एक्सट्रा शीट,
हम देख रहे थे उसे दूर से, क्यूंकी मेडम ने कर दी थी मेरी, चेंज सीट,
बहुत सी उलझने हुई थे अपनी दोस्ती में,
लेकिन अगली बार फिर सवार थे हम उसी कश्ती में,
आज मुश्किलें आ जाने पर दोस्तों को भूल जाया करते हो....
वही तो ज़िंदगी है, दोस्तों के संग, मुस्कुराते रहो....
एग्ज़ॅम से ज़्यादा एग्ज़ॅम का माहौल मे मज़ा आया करा करता था,
सारी रात हॉस्टिल मे "Tuin tuin Tuin tuin S-M-S" बजा करा करता था,
पासिंग मार्क्स से ज़्यादा की, ना तो उमीद थी और ना ही किया करते थे दुआ,
आज कहाँ यहाँ किसी को याद है, किसकी मारक्शीट में क्या हुआ,
कई कॉलेज के फेस्ट में ज़िम्मेदारियाँ खुद ले ली थी हमने,
असाइनमेंट तो किसी और ने लिखे, लेकिन पोस्टर्स पे स्लोगन्स खुद लिखे थे हमने...
आज काम के वजन मे क्यूँ डूब गये हो...
उसमे भी मज़े लो और, मुस्कुराते रहो...
सफ़र भी तो बड़ा है, मुश्किलें ज़रूर मिलेंगी अनेक,
मुस्कुराते रहो मेरे भाई, ज़िंदगी भी तो मिली है बस एक....
आज रुक जाना नही कुछ ऐसा वैसा सोच के, जो करना है बे-झिझक करते रहो.....
सिर्फ़ और सिर्फ़ मुस्कुराते रहो !!!
जब पापा शाम को ऑफीस से आकर टॉफी दिया करते थे,
साइकल से गिर कर जो चोट लगी थी, दर्द भूल कर हम, तुरंत हस दिया करते थे,
सब्जी पसंद न्ही कह कर, एक घंटे, ना खाने को रोया करते थे,
मम्मी ने जब रोटी में जैम लगाया, स्माइल करते करते प्लेट चाट जया करते थे,
आज गिर जाने से, क्यूँ डरा करते हो....
समय बदला है, हम नही, मुस्कुराते रहो...
हम क्रिकेट के अंबासडर, और हमारा बल्ले पे वीरू की फोटो का स्वैग हुआ करता था,
हमको सब मोहल्ले का सहवाग कहा करता था,
कॉन्फिडेन्स ऐसा आसमान था, कई बार लास्ट बॉल सिक्स मार दिया करते थे,
ज़ीरो पे आउट हुए तो, बल्ला लेकर भाग लिया करते थे,
कुछ भी हो, कल फिर मिलेंगे, यही कहा करते थे सबसे हर बार,
खेल और खेल वाले दोस्तों से ऐसा था हमारा अनोखा प्यार,
आज नाकामयाबी से टूट जाया करते हो....
हार जीत तो चलता है मेरे यार, तुम मुस्कुराते रहो....
एग्ज़ॅम मे चीटिंग कराएगा बोल कर, विश्वास करा दिया था,
हमने भी, वो है ना सोच कर, पूरा चैप्टेर गोला मार दिया था,
ना पूछो कितना गुस्सा आया जब ले रहा था वो एक्सट्रा शीट,
हम देख रहे थे उसे दूर से, क्यूंकी मेडम ने कर दी थी मेरी, चेंज सीट,
बहुत सी उलझने हुई थे अपनी दोस्ती में,
लेकिन अगली बार फिर सवार थे हम उसी कश्ती में,
आज मुश्किलें आ जाने पर दोस्तों को भूल जाया करते हो....
वही तो ज़िंदगी है, दोस्तों के संग, मुस्कुराते रहो....
एग्ज़ॅम से ज़्यादा एग्ज़ॅम का माहौल मे मज़ा आया करा करता था,
सारी रात हॉस्टिल मे "Tuin tuin Tuin tuin S-M-S" बजा करा करता था,
पासिंग मार्क्स से ज़्यादा की, ना तो उमीद थी और ना ही किया करते थे दुआ,
आज कहाँ यहाँ किसी को याद है, किसकी मारक्शीट में क्या हुआ,
कई कॉलेज के फेस्ट में ज़िम्मेदारियाँ खुद ले ली थी हमने,
असाइनमेंट तो किसी और ने लिखे, लेकिन पोस्टर्स पे स्लोगन्स खुद लिखे थे हमने...
आज काम के वजन मे क्यूँ डूब गये हो...
उसमे भी मज़े लो और, मुस्कुराते रहो...
सफ़र भी तो बड़ा है, मुश्किलें ज़रूर मिलेंगी अनेक,
मुस्कुराते रहो मेरे भाई, ज़िंदगी भी तो मिली है बस एक....
आज रुक जाना नही कुछ ऐसा वैसा सोच के, जो करना है बे-झिझक करते रहो.....
सिर्फ़ और सिर्फ़ मुस्कुराते रहो !!!